नए भारत और बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान देगा तेलंगाना : कैलाश सत्यार्थी
हैदराबाद, समिट को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने वैश्विक समुदाय से नए और नवाचारी समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने स्वीकार किया कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य निर्धारित समय सीमा में पूरे नहीं हो पाएंगे, लेकिन यह विश्वास है कि भारत और तेलंगाना लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
सत्यार्थी ने तर्क दिया कि दुनिया में संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि नैतिक साहस, जवाबदेही और ज़िम्मेदारी की कमी है। इसका उपाय करुणा है, ऐसी करुणा जो निस्वार्थ और सजग समस्या-समाधान की शक्ति के रूप में काम करे। करुणा वह क्षमता है जिसके द्वारा हम किसी दूसरे के दुख को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने नेताओं से आह्वान किया कि वे करुणामय राजनीति, करुणामय अर्थव्यवस्था और करुणामय समाज का निर्माण करें, क्योंकि वैश्विक चुनौतियाँ केवल करुणा के माध्यम से ही हल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि जब दुनिया ने बाज़ारों और अर्थव्यवस्थाओं का वैश्वीकरण कर लिया है, अब समय करुणा का वैश्वीकरण करने का है।
भारत फ्यूचर सिटी में आयोजित तेलंगाना राइजिंग ग्लोबल समिट में तेलंगाना राज्य के प्रगति पथ पर आगे बढ़ने की सराहना करते हुए कैलाशा सत्यार्थी ने राज्य की विकास-दृष्टि की प्रशंसा की। साथ ही वैश्विक नेताओं, निवेशकों तथा नीति-निर्माताओं से आह्वान किया कि वे आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के लिए करुणा को प्रेरक शक्ति के रूप में अपनाएँ। उन्होंने करुणा की नयी परिभाषा ज़रूरतमंदों की समस्या समाधान के लिए उठाए जाने वाले कदमों के रूप में दी।
तेलंगाना का 1 ट्रिलियन और 3 ट्रिलियन डॉलर लक्ष्य संभव
कैलाश सत्यार्थी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतनी प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति यह दर्शाती है कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का साहसिक और दूरदर्शी सपना वास्तविकता में बदलने जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि यहाँ मौजूद लोग न सिर्फ तेलंगाना का भविष्य आकार देने में सक्षम हैं, बल्कि एक नए भारत और बेहतर विश्व के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं। 20 लाख से अधिक किसानों के कृषि ऋण माफ करना, महिलाओं और लड़कियों के लिए मुफ्त बस यात्रा, स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार, गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा पर जोर जैसी पहलों ने परिवर्तन को नई दिशा दी है। यह प्रयास समृद्ध और भविष्यवादी तेलंगाना की दिशा में नई राह बनाते हैं।
कैलाश सत्यार्थी ने आगे कहा कि 2034 तक तेलंगाना का 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनना असंभव नहीं है, लेकिन 2047 तक 3 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य, जो विकसित भारत के विज़न से जुड़ा है, सक्षम नेतृत्व में अवश्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने सम्मेलन की सामग्री पर महात्मा गांधी की छवि प्रमुखता से दर्शाने की उल्लेख करते हुए गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू को याद किया और कहा कि नीति का मूल्यांकन इस आधार पर होना चाहिए कि उसका प्रभाव समाज के सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों पर क्या होगा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना की नीतियाँ संस्कृति, कला, प्रौद्योगिकी, उद्योग और भविष्यवादी सोच को एक साथ जोड़ती हैं।
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वैदिक विकास मॉडल: व्यक्तिगत, सामुदायिक और वैश्विक उन्नति पर जोर
यह लगभग 4 करोड़ तेलंगाना वासियों की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि लाख समस्याएं हों, लेकिन तेलंगाना के 3.85 करोड़ नागरिक भी समस्या समाधानकर्ता हैं। तेलंगाना में निवेश केवल आर्थिक निवेश नहीं है, बल्कि बेहतर दुनिया गढ़ने में योगदान भी है। उन्होंने विकास के प्राचीन वैदिक विचारों व्यक्तिगत विकास, सामुदायिक विकास और वैश्विक विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रगति ऐसी होनी चाहिए जो सभी को ऊपर उठाए।
मानवता को साथ चलने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने की सामूहिक प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि पृथवी कम होती मानवता, बढ़ते चरमपंथ, गहराती विभाजन रेखाएँ, अशांति जैसे बढ़ते ख़तरे का सामना कर रही है।
एक और नोबल पुरस्कार ग्रहिता अभिजीत बैनर्जी ने भी अपने विचार रखे और तेलंगाना के भावी विकास के प्रति शुभकामनाएं दीं। मुख्य सचिव रामकृष्ण राव ने विजन 2047 तथा ग्लोबल समिट की रूप रेखा की जानकारी दी। उद्घाटन समारोह का संचालन मुख्यमंत्री के विशेष मुख्य सचिव जयेश रंजन ने किया।