नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम विधेयक को बच्चों के लिए खोया हुआ अवसर बताया है. सत्यार्थी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि नेता अपने वोटों से कहीं ज़्यादा स्वतंत्रता और बचपन को अहमियत देंगे.
सत्यार्थी ने कहा, “देश के बच्चों के लिए बाल श्रम विधेयक एक खोया हुआ अवसर है. मैं उम्मीद कर रहा था कि आज के समय में देश के नेता अपने वोटों से कहीं अधिक अहमियत स्वतंत्रता और बचपन को देंगे.’’
बाल श्रम विधेयक के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चे को अपने परिवार की मदद को छोड़ कर किसी और काम के लिए नियुक्त करने वालों को दो साल तक की जेल की सज़ा मिलेगी. संसद ने इस विधेयक को मंज़ूरी दे दी है.
गौरतलब है कि सत्यार्थी ने विधेयक के कई प्रावधानों का सख्त विरोध किया है और श्रम मंत्री के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था. हालांकि, उन्होंने इसके खिलाफ बोलने वाले नेता वरूण गांधी सहित अन्य सांसदों की सराहना की. वरूण ने प्रस्तावित संशोधनों को बेवकूफी भरा बताया है.
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