भारत में बाल अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नोबेल शांति पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 में हुआ था. मदर टेरेसा (1979) के बाद कैलाश सत्यार्थी सिर्फ दूसरे भारतीय हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है. जानें उनके भाषण में कहे गए ये खास विचार:
1. अगर अब नहीं तो कब? अगर आप नहीं तो कौन ? अगर हम सभी इन बुनियादी सवालों का जवाब खोज पाएं, तो गुलामी का धब्बा मिटा सकते हैं.
2. बच्चों के सपनों को कुचलना सबसे बड़ा अपराध है, और मैं खामोशी की ध्वनियों और मासूमियत की आवाज़ का ही प्रतिनिधित्व करता हूं.
3. बच्चों को सही शिक्षा दिया जाना समूची मानवता के लिए ज़रूरी है... सभी बच्चों को आज़ादी दिया जाना भी ज़रूरी है... इसलिए मेरे जीवन का एक ही मकसद है - बचपन बचाओ.
4. मैं अपने माता-पिता, स्वर्ग से भी बढ़कर अपना जन्मभूमि भारत और धरती माता को झुककर प्रणाम करता हूं... आज मैं याद करता हूं, कि कैसे मैंने हर बार खुद को आज़ाद होता हुआ महसूस किया, जब भी मैंने किसी बच्चे को गुलामी से आज़ादी दिलाई.
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