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नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी बोले - मोबाइल पर क्या देख रहे बच्चे ?

अजमेर. शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि देश में बचपन सुरक्षित नहीं है। हर घंटे में 6 बच्चे गायब हो जाते हैं, 30 बच्चे-बच्चियां यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं। देश की 40 करोड़ से ज्यादा आबादी 18 साल से कम उम्र वालों की है। एक सरकारी सर्वे के मुताबिक 20 करोड़ से ज्यादा बच्चे बच्चियां किसी ना किसी रूप में यौन प्रताड़ना का शिकार होते हैं। जिस देश का बचपन सुरक्षित नहीं है, वह देश भी सुरक्षित नहीं हो सकता। इसीलिए जल्दी ही देश में सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत के नारे के साथ अभियान आरंभ किया जाएगा। यह आजादी के बाद का अब तक का सबसे बड़ा जन आंदोलन होगा।


सत्यार्थी मंगलवार को यहां अजयमेरू प्रैस क्लब द्वारा आयोजित मीट द प्रैस कार्यक्रम में पत्रकारों से रूबरू थे। उन्होंने बताया कि स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। मान मर्यादा, लोक लाज के डर से पीड़ित और उनके परिजन सामने नहीं आते, शिकायत नहीं करते। पिछले साल पॉक्सो में 15 हजार मामले ही दर्ज हुए। इनमें से मात्र 6 फीसदी में ही प्रॉसीक्यूशन हो पाया, 94 फीसदी में कानूनी प्रक्रिया आरंभ ही नहीं हो पाई। सजा मात्र 1 फीसदी में हुई।


सामाजिक संगठनों, पत्रकारों, विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं को अब इस मसले पर आगे आना चाहिए। हम इसी ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इस गंभीर समस्या पर समाज को चुप्पी तोड़नी ही होगी। पत्रकार इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। पीड़ित न केवल अपने आपको लुटा हुआ महसूस करते हैं बल्कि उन्हें लगता है कि वे ही अपराधी हैं। होना तो यह चाहिए कि जिसने अपराध किया वह अपराध बोध से ग्रस्त हो।


बड़ा सवाल - मोबाइल पर क्या देख रहे बच्चे ?

सत्यार्थी ने कहा कि आज ज्यादातर बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन हैं। एक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर अश्लील सामग्री देख चुके होते हैं। दिल्ली और मुम्बई मेट्रो में वाई फाई फ्री हैं। यहां की रिपोर्ट आई है कि अधिकांश पोर्न सामग्री देखने में हुआ।


एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों से पोर्न साइट पर प्रतिबंध लगाया जाना संभव नहीं है, लेकिन अब समय आ गया हैँ कि हम बच्चों को स्वस्थ यौन शिक्षा दें। उन्हें उनकी सीमाएं बताएं, शरीर में आ रहे बदलावों के प्रति उन्हें सजग करें। इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से वे मिले थे। उन्होंने इसके लिए सरकार का सहयोग करने का आग्रह किया है। आज ज्यादातर माता पिता अभिभावकों की एक बड़ी चिंता यह है कि उनके बच्चे घर से स्कूल और स्कूल से घर के रास्ते में सुरक्षित नहीं हैं। अधिकांश यौन शोषण के मामलों में आरोपी जान पहचान वाले, परिचित, नाते रिश्तेदार, मिलने जुलने वाले ही होते हैं। जल्दी ही देश भर में सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत अभियान चलाया जाएगा। इसकी तारीख जल्दी ही घोषित की जाएगी।


बच्चों और माता पिताओं को मनोवैज्ञानिक देखरेख की जरूरत कैलाश सत्यार्थी ने यौन उत्पीड़न के कई दर्दनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाले प्रकरणों की पत्रकारों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों और उनके माता-पिताओं, अभिभावकों को मनोवैज्ञानिक देखरेख की जरूरत है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों के साथ मित्रवत रहें। पत्रकारों से उन्होंने आग्रह किया कि वे ऐसी घटनाओं का लगातार फोलोअप भी करें।


मानद सदस्यता दी, स्मृति चिह्न भेंट नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को आज अजयमेरू प्रैस क्लब की मानद सदस्यता प्रदान की गई। क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह क्लब के लिए गौरव की बात है कि सत्यार्थी जैसी शख्सियत ने मानद सदस्यता स्वीकार की। उन्होंने क्लब की ओर से सत्यार्थी को एक स्मृति चिह्न भी भेंट किया।

मीट द प्रैस कार्यक्रम का संचालन महासचिव राजेंद्र गुंजल ने किया और अंत में पूर्व महासचिव प्रतापसिंह सनकत ने आभार व्यक्त किया। इससे पूर्व आरंभ में क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने सत्यार्थी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। सत्यार्थी के साथ उनकी धर्मपत्नी सुमेधा भी थीं।

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