नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि अगर बाल श्रम कानूनों को मजबूत नहीं किया गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम एक ‘बड़ी आपदा’ साबित होगा।
कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि अगर बाल श्रम कानूनों को मजबूत नहीं किया गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम एक ‘बड़ी आपदा’ साबित होगा।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में सत्यार्थी ने कहा, ‘अगर भारत में निर्माण करने के लिए निवेशक विदेशों से आ रहे हैं और बाल श्रम के मामले में अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में आपके कानून बहुत कमजोर हैं तो यह एक बड़ी आपदा साबित होगा।’ उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ एक बड़ा कदम है लेकिन यह देश की एक गंभीर कमजोरी को भी उजागर करता है।
‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के 62 वर्षीय संस्थापक ने कहा, ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम निर्माण क्षेत्र में बच्चों के कठिन परिश्रम, कष्ट और दुरुपयोग से सफल नहीं हो सकता।’ एप्पल कंपनी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थित इस कंपनी को उस समय कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था जब उस पर ये आरोप लगे थे कि इसके उत्पादों के निर्माण के लिए चीन में बाल श्रम का इस्तेमाल किया गया था।
सत्यार्थी ने कहा, ‘भारत में बाल श्रम काम कर रहा है क्योंकि आपका कानून इसकी अनुमति देता है। ये बड़े ब्रांड स्थानीय उत्पादकों पर निर्भर करते हैं जो कि बच्चों को काम में लगाने के लिए स्वतंत्र होते हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठन हमें माफ करने नहीं जा रहे हैं।’ वह रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन का समर्थन करने के लिए कोलकाता में मौजूद थे।
सत्यार्थी ने कहा, एक तरफ सरकार क्लीन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया के बारे में बात करती है लेकिन दूसरी तरफ चाय की दुकानों, बूचड़खानों, और रेस्तराओं में बच्चों को काम पर लगाया जाता है। वर्तमान में उनकी चिंता का विषय यह है कि बाल श्रम निषेध एवं नियमन संशोधन विधेयक में बच्चों के लिए निषिद्ध कार्यों की सूची को 83 से घटकार सिर्फ तीन कर दिया गया है। प्रस्तावित संशोधन किसी भी उम्र के बच्चों को परिवार के उद्यमों और घर के व्यवसायों में काम करने की भी अनुमति देता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, ‘मैं सभी सांसदों से आह्वान करता हूं कि बार-बार बच्चों को असफल नहीं होने दें। पूरे राजनीतिक वर्ग को हमारे बच्चों की जिम्मेदारी लेनी होगी। अगर आप बाल श्रम की अनुमति देते हैं तो आप बेराजगारी की भी अनुमति देते हैं।’ बाल श्रम की व्याख्या आधुनिक समय की गुलामी के एक रूप से करते हुए उन्होंने कहा कि काम के लिए बच्चों को वरीयता दी जाती हैं क्योंकि उन्हें काम में लगाना सस्ता पड़ता है।
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