नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि सूखे को तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करें। सूखे को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने के पीछे उन्होंने अपना पक्ष रखा है कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भारी तादाद में बच्चे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 164 मिलियन से अधिक बच्च गंभीर रूप से सूखे की स्थिति से प्रभावित हुए हैं। सत्यार्थी ने कहा कि 10 राज्यों में सूखे के चलते बड़े पैमाने पर बाल विवाह, बाल श्रम, अपहरण और बच्चों की तस्करी बढ़ी है।
सूखा संकट और बच्चों से जुड़े एक सम्मेल के दौरान सत्यार्थी ने तेलंगाना के शिवलिंग गांव की घटना के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि वहां 1 मई को एक 12 वर्षीय बच्ची मधु और उसका आठ वर्षीय भाई अशोक डिहाइड्रेशन के चलते निधन हो गया। बच्चों के मां-बाप पानी लाने के लिए गए थे। उन्हें जंगल में खाली प्लास्टिक की बोतल के साथ बेसुध पाया गया था।
उन्होंने इसी तरह की अन्य घटनाओं का विवरण देते हुए कहा कि तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे के चलते परिजन अपने बच्चों को मंदिरों छोड़कर चले जा रहे हैं। कुछ परिजन सूखे के चलते बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए उन्हें जिस्मफरोशी के धंधे में ढकेल दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों की तहत 336 मिलियन लोग सूखे से प्रभावित हैं, जिसमें 40 प्रतिशत बच्चे हैं और 22 प्रतिशत बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा है। स्त्यार्थी ने कहा कि सूखे के चलते यह मई के पहले सप्ताह की स्थिति है। हम दो या तीन महीने के बाद की रिपोर्ट का इंतजार नहीं कर सकते, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। है। उन्होंने चिंता जताई कि सरकार सूखे की समस्या पर वक्त नहीं दे रही है। उन्होंने मांग की है कि संसद का कम से कम एक सत्र सूखे पर समर्पित होना चाहिए।
https://www.jagran.com/news/national-declare-drought-as-national-emergency-says-kailash-satyarthi-13963710.html
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